#Virat Hindu sammelan # mohan bhagavat # Betul # RSS
8फरवरी को बैतुल मे होने वाले आदिवासी सम्मेलन को लेकर सरकार ,संघ और संगठन(बी जे पी ) तीनो पुरी ताकत से जुटे है ..सबसे पहले आपको बता देँ की इसके लिये बैतुल को ही क्यो चुना गया सबसे पहले हम आपको ये बता देते है इसके पहले ये विराट हिंदु सम्मेलन 14 दिसम्बर 2014 को मुम्बई के बी के सी मे इसका आयोजन हुआ था तो 2017 मे गुजरात के वांसदा मे ...इन दोनो जगहो पर ईसाई मिशनरीयाँ लम्बे समय से सक्रिय रही है ..मुम्बई सम्मेलन मे प्रवीन तोगडिया ने साफ कहा था की इसाई और मुस्लिम समाज मे हिंदुओ का धर्मांतरण रोकने के लिये हमे हर संभव प्रयास करना होगा..उनकी भाषा मे थोडा और कठोरपन भी था वैसे ही हालात आर एस एस को बैतुल मे लगते है जहाँ विदेशी सहयोग से चलने वाली कई मिशनरी संस्थाये लम्बे समय से संचालित हो रही है और इनको लेकर कई दफा साम्प्रदायिक तनाव के हालत भी बने है लेकिन ये भी सच है की भाजपा ने इसी बीच आदिवासियो का विश्वास भी कुछ हद तक खोया है .....आदिवासी संगठनो का सम्मेलन से बहिष्कार का एलान तो ये ही अहसास कराता है ..यानि बैतुल मे आर एस एस के लिये दोनो चिंताये है धर्मांतरण और खिसकता आदिवासी वोट बैंक......लेकिन इससे बडी चिंता इस समय सरकार और बी जे पी को है की कैसे इस जमीनी हकीकत को छुपाया जाये .....
संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र जैन के मुताबिक सर सघचालक मोहन भागवत बैतूल में आयोजित हिन्दू सम्मेलन के बाद लगातार प्रदेश में सक्रिय रहेंगे।वे यहाँ पुरे पांच दिन विभिन्न आयोजनो में भाग लेंगे जिसमे बनखेडी और भोपाल के कार्यक्रम भी शामिल है लगातार पांच दिन के दौरो के बाद भागवत के सामने एम पी मे बी जे पी की जमीनी हकीकत की कलई भी खुल सकती है जो अब तक उसकी चुनावी जीतो से छुपी हुयी है यही कारण है की सी एम शिवराज ,नंद्कुमार सिंह चौहान और सुहास भगत रातापानी मे चिंता मे नजर आये और अचानक पुरे प्रदेश के संगठन मंत्रीयो को भीड जुटाने के आदेश भी देते नजर आये ....इसी बीच सी एम शिवराज ने रविवार को कथोलिक बिशप के समागम कार्यक्रम मे भी भाग लिया ताकि वो बैतुल के आसपास चल रही मिशनरी संस्थाओ से भी सहयोग हासिल कर सके ..भीड जुटाने के लिये यहाँ के कस्बाई इलाको मे पकड रखने वाले संत सतपाल महाराज भी बुलाये गये है ..आर एस एस की एक टीम सम्मेलन के पहले के तमाम फीड बेक और सरकार की विफलता की कहानी मोहन भागवत को बता चुके है . ....यही हालात होशंगाबद के बनखेडी के है जहाँ मोहन भागवत बैतुल के बाद पहुंचेंगे ... खुद होशंगाबाद के बी जे पी जिलाध्यक्ष हरिशंकर जायस्वाल बनखेडी के हैँ और वो जानते है की केसला से लेकर बनखेडी तक बी जे पी की जमीनी पकड खिसकी है उसक बडा कारण सरताज सिंह भी है जो इस समय पार्टी और सरकार दोनो से नाराज है और इस क्षेत्र के इकलौते सरताज है ..
वास्तविकता ये है की बैतूल मे मोहन नागर जैसे संघ के समर्पित सेवक संस्थानो के जरिये सेवा भाव से आयोजन मे लगे है तो बी जे पी सतपाल महाराज जैसे संतो को बुलाकर भीड जुटाने मे लगी है तो सरकार ईसाई मिशनरीयो के संचालको को साधने मे .......अनुराग मालवीय ..
8फरवरी को बैतुल मे होने वाले आदिवासी सम्मेलन को लेकर सरकार ,संघ और संगठन(बी जे पी ) तीनो पुरी ताकत से जुटे है ..सबसे पहले आपको बता देँ की इसके लिये बैतुल को ही क्यो चुना गया सबसे पहले हम आपको ये बता देते है इसके पहले ये विराट हिंदु सम्मेलन 14 दिसम्बर 2014 को मुम्बई के बी के सी मे इसका आयोजन हुआ था तो 2017 मे गुजरात के वांसदा मे ...इन दोनो जगहो पर ईसाई मिशनरीयाँ लम्बे समय से सक्रिय रही है ..मुम्बई सम्मेलन मे प्रवीन तोगडिया ने साफ कहा था की इसाई और मुस्लिम समाज मे हिंदुओ का धर्मांतरण रोकने के लिये हमे हर संभव प्रयास करना होगा..उनकी भाषा मे थोडा और कठोरपन भी था वैसे ही हालात आर एस एस को बैतुल मे लगते है जहाँ विदेशी सहयोग से चलने वाली कई मिशनरी संस्थाये लम्बे समय से संचालित हो रही है और इनको लेकर कई दफा साम्प्रदायिक तनाव के हालत भी बने है लेकिन ये भी सच है की भाजपा ने इसी बीच आदिवासियो का विश्वास भी कुछ हद तक खोया है .....आदिवासी संगठनो का सम्मेलन से बहिष्कार का एलान तो ये ही अहसास कराता है ..यानि बैतुल मे आर एस एस के लिये दोनो चिंताये है धर्मांतरण और खिसकता आदिवासी वोट बैंक......लेकिन इससे बडी चिंता इस समय सरकार और बी जे पी को है की कैसे इस जमीनी हकीकत को छुपाया जाये .....
संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र जैन के मुताबिक सर सघचालक मोहन भागवत बैतूल में आयोजित हिन्दू सम्मेलन के बाद लगातार प्रदेश में सक्रिय रहेंगे।वे यहाँ पुरे पांच दिन विभिन्न आयोजनो में भाग लेंगे जिसमे बनखेडी और भोपाल के कार्यक्रम भी शामिल है लगातार पांच दिन के दौरो के बाद भागवत के सामने एम पी मे बी जे पी की जमीनी हकीकत की कलई भी खुल सकती है जो अब तक उसकी चुनावी जीतो से छुपी हुयी है यही कारण है की सी एम शिवराज ,नंद्कुमार सिंह चौहान और सुहास भगत रातापानी मे चिंता मे नजर आये और अचानक पुरे प्रदेश के संगठन मंत्रीयो को भीड जुटाने के आदेश भी देते नजर आये ....इसी बीच सी एम शिवराज ने रविवार को कथोलिक बिशप के समागम कार्यक्रम मे भी भाग लिया ताकि वो बैतुल के आसपास चल रही मिशनरी संस्थाओ से भी सहयोग हासिल कर सके ..भीड जुटाने के लिये यहाँ के कस्बाई इलाको मे पकड रखने वाले संत सतपाल महाराज भी बुलाये गये है ..आर एस एस की एक टीम सम्मेलन के पहले के तमाम फीड बेक और सरकार की विफलता की कहानी मोहन भागवत को बता चुके है . ....यही हालात होशंगाबद के बनखेडी के है जहाँ मोहन भागवत बैतुल के बाद पहुंचेंगे ... खुद होशंगाबाद के बी जे पी जिलाध्यक्ष हरिशंकर जायस्वाल बनखेडी के हैँ और वो जानते है की केसला से लेकर बनखेडी तक बी जे पी की जमीनी पकड खिसकी है उसक बडा कारण सरताज सिंह भी है जो इस समय पार्टी और सरकार दोनो से नाराज है और इस क्षेत्र के इकलौते सरताज है ..
वास्तविकता ये है की बैतूल मे मोहन नागर जैसे संघ के समर्पित सेवक संस्थानो के जरिये सेवा भाव से आयोजन मे लगे है तो बी जे पी सतपाल महाराज जैसे संतो को बुलाकर भीड जुटाने मे लगी है तो सरकार ईसाई मिशनरीयो के संचालको को साधने मे .......अनुराग मालवीय ..


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