Sunday, January 29, 2017

स्कूलो के भगवाकरण का नया फंडा ,जरा इस रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पर नजर तो डालिये ""मिल बाँचे मध्यप्रदेश"

इस आमन्त्रण पत्र को देखकर आप समझ ही गये होंगे की अब प्रेरक के नाम पर इसमे भाजपाईयो की एंट्री का रास्ता खोल दिया गया है जिसके लिये किसी योग्यता की आवश्यकता  नही है वैसे भी प्रेरक और विचारक कहाँ होते है हम सब जानते है ऊपर से इस केटेगरी मे दनादन आवेदन अब बी जे पी कार्यकर्त्तओ के पहुंच रहे है ....
 सरकारी स्कूलों में बच्चो के बीच जाकर मंत्रीयो और अधिकारियो का उन्हे पढ़ाने का "मिल बाँचे मध्यप्रदेश" कार्यक्रम विवादों से घिर गया है .. क्युंकि अब इसमे प्रेरक शब्द जोडकर किसी को भी पढाने के लिये एंट्री दिये जाने का रास्ता खोल दिया गया है और अब भाजपाई इस केटेगरी मे दनादन रजिस्ट्रेशन करवा रहे है दरअसल सरकारी कार्यक्रम के जरिए बीजेपी खुद की ब्रांडिंग करने में जुट गई है .. और उसे बच्चे नही बल्कि 2018 के चुनाव दिख रहे हैं ..कांग्रेस का भी आरोप है कि सरकारी कार्यक्रम के जरिए बीजेपी जनता का पैसा खर्च कर चुनावी फायदा लेना चाहती है ... प्रदेश के सरकारी स्कूलो में 15 फरवरी को एक दिन प्रदेश के मंत्री बच्चो के बीच जाकर उन्हे "मिल बाँचे मध्यप्रदेश" कार्यक्रम के तहत नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाएगें . पहले ये 28 जनवरी को होना था लेकिन सीएम की व्यस्तता के चलते इसे बढ़ा दिया गया ...दरअसल सीएम शिवराज सिंह के एलान के बाद जनवरी को सभी सरकारी स्कूलों में मंत्री और जनप्रतिनिधी जाकर बच्चो को नैतिक शिक्षा देगें..लेकिन पढ़ाने का मामला विवादो में घिर गया है ... .इस जरिए सत्ताधारी पार्टी जनता के बीच जाकर ये जताने की कोशिश कर रही है कि आपके बच्चो का ध्यान रखने के लिए खुद सरकार आगे आई है
इस कर्यक्रम के आमन्त्रण पत्र मे जनप्रतिंनिधि,प्रेरक नाम की दो केटेगरी भी दी गयी है इंजीनीयर  डाक्टर्स जैसी केटेगरी के अलावा.,..इस केटेगरी मे अधिकांश आवेदनो को परख लिजिये ,प्रेरक  और जंनप्रतिनिधि  इन दोनो केटेगरियो मे सिर्फ भाजपाई ही है  अब भाजपा के ये प्रेरक क्या प्रेरणा देंगे समझा जा सकता है
कांग्रेस का आरोप है कि जनता की गाढ़ी कमाई को लुटा कर बीजेपी खुद की ब्रांडिंग करेगी औऱ कुछ नहीं ..लेकिन कांग्रेस चाहती तो वो भी शिक्सःआ विभाग की वेबसाईट पर जाकर अपने कार्यकर्त्तओ और जनप्रतिनिधियो को जाकर पढाने का बोल सकती थी और अपनी ब्रांडिंग भी कर सकती थी या कम से कम भाजपाईयो को तो रोक ही सकती थी ..लेकिन एक बयान देकर कांग्रेस ने भी अपनी जिम्मेदारी पुरी कर ली है
 बीजेपी का तर्क है कि सिर्फ बीजेपी संगठन नही बल्कि उनकी सरकार सभी वर्गो के प्रबुद्ध लोगो को बुला रही है .. और ये सच भी है लेकिन जिस सोच के साथ बुला रही है और जो लोग शामिल हो रहे है उससे समझा जा सकता है की किसका का उद्देश्य पुरा होनेवाला है
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की मंशा है कि इस "मिल बाँचे मध्यप्रदेश"कार्यक्रम के जरिए जब सरकार मैदान में पहुंचेगी तो पढाने वालो के साथ छात्र छात्राओं में भी पढाई में रुची बढ़ेगी ....लेकिन बढ़ा सवाल है. क्या एक दिन या फिर कुछ दिनो में बच्चो के बीच जाकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा .. और जो लोग पढाने जा रहे है वो क्या पढाने वाले है इसकी क्या ग्यारंटी है अभी प्रदेश में कई मुद्दे है जिन्हे लेकर सरकार ही घिरी है चाहे वो बच्चो में कुपोषण का मामला हो या फिर स्कूली बच्चे और बच्चियो की लगातार ड्राप आउट संख्या में इजाफा .....ऐसे मे इस उठपठांग प्रयोग से सरकार बचती तो ज्यादा अच्छा  होता ।

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