Saturday, April 29, 2017

सी एम तो मै सिर्फ ब्युरोक्रेट्स के लिये ही हुँ , जनता से मुझे क्या लेना !

सी एम साहब  को शायद इस बात से कोइ फर्क नही पडता की 108 एम्बुलेंस के ना चलने से कितने मासुमो और बुजुर्गो की जान पे बन आयी होगी ..उन्हे इस बात से भी कोई फर्क नही पडता की गांवो को चलाने वाली पंचायतो मे कामकाज ठप्प है ...सी एम साहब को इस बात से भी फर्क नही पडता की संविदाकर्मियो को पुरे समय काम करने के बावजुद घर चलाने के लाले पडे है ...लेकिन उन्हे लगता है की ग्रामोदय से भारत उदय हो रहा है और लगेगा भी क्यो नही उनके आसपास रहने वाले ब्युरोक्रेट्स उन्हे जिस चमक दमक की दुनिया मे घुमा रहे है वो ऐसी ही है बची कुची कसर टीवी के उन पत्रकारो ने पुरी कर दी है जिनके हिसाब से सी एम साहब जो कर रहे है बस वो ही सही है और आखिर वो ऐसा करे क्यु नही क्योंकि उनकी योग्यता सिर्फ सी एम से सम्बंध है ...तभी तो धेला ना देने की भाषा भी इन्हे प्रशासनिक क्षमता लगती है .....
उस आई ए एस  से पंगा मत लिजियेगा मिश्राजी क्योंकि उन्हे पता है इंवेस्ट्मेन्ट कैसे करवाया जाता है वर्ना अब तक सैकडो शिकायतो के बाद सी एम के कान मे थोडी सी तो जुँ रेंगती ....आप बेहोश हो जायेंगे और अस्पताल मे भर्ती भी सही तो  वो ही साहब है जिन्होने आपको दुत्कारा है ..
पंगा आपको पत्रकारो का विभाग चलाने वाले बडे साहब से भी नही लेना है क्योंकि  आपके जेहन मे कितना भी बडा पत्रकार क्यो ना हो लेकिन आपको सुननी तो साहब की ही पडेगी  क्योंकि उन पर तो उनके विभाग के मंत्री का भी बस नही चलता .......
पंगा आपको शायर और कवि बने ब्युरोक्रेट्स से भी नही लेना है बल्कि आपको उनकी वाहियात कविताओ पर वाह वाह करना है क्युंकि साहब तो सिर्फ उनके ही है ....
और हां बच्चों आपको तो पब्लिक स्कूल की मनमानी तो माननी पड़ेगी क्योंकि मामाजी की नजर में स्कूल सही है पालक गलत...

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