Monday, February 13, 2017

गुम गया एम् पी का ये गाँव !

मध्य प्रदेश का एक गाँव गुम गया है ये गाँव सरकारी रिकार्ड में मिल ही नहीं रहा है ना ही इसे राजस्व् विभाग अपना  गाँव मानता है ना ही वन विभाग ...इस चुनाव क्षेत्र ने श्री अटल बिहारी बाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाया सुषमा स्वराज को विदेश मंत्री बनाया और सी एम शिवराज भी यहाँ से निर्वाचित हुए है विदिशा जिले  का गीदगढ़ गाँव अब अपने प्रमाण पत्रो के लिये भटक रहा हैJ
आपको बता दे की  २००८ से लागू वन अधिकार कानून तथा उसके पहले २००६ से ही वन ग्रामों के सम्बन्ध में राजस्व ग्राम बनाने के प्रावधान मौजूद हैं किन्तु गीदगढ़ को न तो वन विभाग वनग्राम मानता है न ही राजस्व विभाग राजस्व-ग्राम मानता है जिसके कारण सैकड़ों परिवार न तो राशन ले पा रहे हैं न राशन कार्ड बना पा रहे हैं न चिकित्सा सुविधा का लाभ ले पा रहे हैं न बच्चे छात्रबृत्ति ले पा रहे हैं ,, उनका आधार कार्ड भी नहीं बन रहा है इसलिए केसीसी नहीं बन रहा इसलिए वे लोंन भी नहीं ले सकते ..वे लगभग ज्यादातर नागरिक अधिकारों से बंचित हैं  और मदहोश प्रशासन सुनने के लिए तैयार नहीं है |
जिला अभिलेखागार रायसेन में १९३२ का ग्राम गीदगढ़का मानचित्र उपलब्ध है उसके हुकुक रजिस्टर में यह जमीन निजी दर्शायी गयी है संशोधन पंजी क्रमांक 18 दिनांक २४ अक्टूबर १९६९ में भी इसके व्योरे दर्ज हैं | वर्ष २०१२ में तत्कालीन तहसीलदार ने वनग्राम गीदगढ़ के किसानों को भू अधिकार एवं ऋणपुस्तिका जारी करने की कार्यवाही भी शुरू कर दी थी अखवारों में इश्तेहार भी छपवा दिए गए किन्तु किन्ही न्यस्त स्वार्थों से उक्त कार्यवाही रोक दी गयी और किसान एक बार फिर  गुलामी की अधिकार विहीन जिन्दगी जीने के लिए धकेल दिए गए |हालांकि वनमंडलाधिकारी रायसेन और राजस्व विभाग का संयुक्त सीमांकन कर किसानों के नाम और खसरा सहित जिलाधीश रायसेन को ३१ अक्तूबर २००० को जमा भी  की गयी किन्तु आज तक वन विभाग यह स्पष्ट नहीं कर सका कि वनग्राम गीदगढ़ की कितनी जमीन अधिसूचना के माध्यम से आरक्षित या संरक्षित  वन के रूप में अधिसूचित की गयी है इस गाँव को  २४ अक्तूबर १९६९ की संशोधन पंजी जारी किये जाने के बाद भी वनमंडलाधिकारी रायसेन द्वारा  ५ मई २०१२ को किस आधार पर तहसीलदार के समक्ष आपत्ति की गयी और बिना जाँच के ही तहसीलदार ने यह प्रकरण कैसे नस्तीबद्ध किया यह गहन जाँच का विषय है ?
कांग्रेस विचार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया है की लालफीताशाही के इस नायब कारनामे के कारण सैकड़ों किसानों से  अनाज सरकार समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदती,उन्हें खाद बीज का ऋण नहीं देती ,उनकी फसलों का बीमा नहीं होता और आजाद भारत में वे लगभग अधिकांश नागरिक अधिकारों से वंचित होकर गुलामों की जिन्दगी जीते हैं ?





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