घोड़ाडोंगरी में मंगल सिंह और प्रतापसिंग उईके के बीच मुकाबला
घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। सीट आदिवासी वर्ग के लिये आरक्षित है। यह सीट 1962 में अस्तित्व में आयी थी। विधानसभा बनने के बाद 1962 से 2013 तक कुल 12 चुनाव हुए हैं। आठ बार भाजपा (1980 के पहले बीजेपी....जनता पार्टी और जनसंघ हुआ करती थी) जीती, जबकि चार मर्तबा कांग्रेस को मतदाताओं ने विधानसभा पहुंचाया। सज्जन सिंह उइके नहीं रहे, लेकिन दो सालों के लगभग का उनका विधायक के रूप मेें दूसरा कार्यकाल बहुत सफल नहीं माना गया। श्री उइके का उनके अपने परिवार से कोई राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं है, इसलिये माना जा रहा है पार्टी अपने किसी पुराने विधायक अथवा नये चेहरे पर दांव खेलेगी। भाजपा से टिकट की दौड़ में आधा दर्जन के आसपास चेहरे हैं। तय है मुख्यमंत्री जिस चेहरे को पसंद करेंगे, टिकट उसे ही मिलेगा। उधर कांग्रेस में भी चेहरों की कमी नहीं है, लेकिन पार्टी में जबरदस्त बिखराव की वजह से उपचुनाव में सोनिया गांधी की पार्टी कितना दम दिखला पायेगी, यह देखने वाली बात होगी। जानकारों का कहना है, ना केवल घोड़ाडोंगरी बल्कि समूचे बैतूल जिले में ही कांग्रेस तार-तार हो चुके अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रही है।
कांग्रेस ने पूर्व मंत्री प्रतापसिंह उइके को उम्मीदवार घोषित कर मुकाबले को रोचक कर दिया है वही बी जे पी उम्मीदवार मंगल सिंह ,बैतूल से स्थानीय कद्दावर नेता और विधायक हेमंत खण्डेलवाल के खेमे के माने जाते है,इस चुनाव में 4 लें और चोपना में पट्टो का मुद्दा गर्मायेगा...
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