सीएम हाउस पहुँच कर मंत्री ने सौंपा इस्तीफा
भोपाल।मंत्री ज्ञान सिंह ने आखिरकार पद से इस्तीफा दे दिया है। आदिम जाति कल्याण मंत्री ने शनिवार को सीएम हाउस पहुँच कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस्तीफ़ा सौंपा।जिसे सीएम ने स्वीकार कर लिया। 5 दिसंबर 2016 को मप्र विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद से वे लगातार मंत्री थे। 4 जून तक मंत्री बने रहने की मियाद थी। संविधान के अनुसार बिना विधायक के कोई भी अधिकतम 6 महीने तक मंत्री रह सकता है।
मंत्री ज्ञान सिंह आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री थे और शहडोल लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कड़ी चुनौती को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह और भाजपा ने उन्हें चुनाव लड़ाया था और चुनाव में करीब 50 हजार मतों से भाजपा चुनाव भी जीत गई थी।
विधानसभा के नियमों के मुताबिक कोई भी सांसद और विधायक एक साथ नहीं रह सकता, लेकिन बिना विधायक रहे छह महीने तक मंत्री रह सकते हैं। ज्ञान सिंह इसी नियम के तहत मंत्री पद पर बने हुए थे। वहीं ज्ञान सिंह के प्रभार वाले जिले डिंडौरी का जिम्मा कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन को दे दिया गया है।
भोपाल।मंत्री ज्ञान सिंह ने आखिरकार पद से इस्तीफा दे दिया है। आदिम जाति कल्याण मंत्री ने शनिवार को सीएम हाउस पहुँच कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस्तीफ़ा सौंपा।जिसे सीएम ने स्वीकार कर लिया। 5 दिसंबर 2016 को मप्र विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद से वे लगातार मंत्री थे। 4 जून तक मंत्री बने रहने की मियाद थी। संविधान के अनुसार बिना विधायक के कोई भी अधिकतम 6 महीने तक मंत्री रह सकता है।
मंत्री ज्ञान सिंह आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री थे और शहडोल लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस की कड़ी चुनौती को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह और भाजपा ने उन्हें चुनाव लड़ाया था और चुनाव में करीब 50 हजार मतों से भाजपा चुनाव भी जीत गई थी।
विधानसभा के नियमों के मुताबिक कोई भी सांसद और विधायक एक साथ नहीं रह सकता, लेकिन बिना विधायक रहे छह महीने तक मंत्री रह सकते हैं। ज्ञान सिंह इसी नियम के तहत मंत्री पद पर बने हुए थे। वहीं ज्ञान सिंह के प्रभार वाले जिले डिंडौरी का जिम्मा कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन को दे दिया गया है।

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