शिवराज सरकार ने सातवे वेतनमान को 1 जनवरी 2016 से लागु कर दिया है और ये जुलाई 2017 से मिलने लगेगा लेकिन कर्मचारियो को इस बीच की अवधि के एरियर्स को मिलने की जो आश थी वो फिलहाल अभी पुरी होती नही दिखती ....... इसके दो बडे कारण है पहला कारण है राज्य की आर्थिक स्थिति और दुसरा कारण है चुनावी गणित ......असल मे वर्ष 2017-18 के लिये राजकोषीय घाटे का अनुमान 25,688.97 करोड़ रुपए का है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत अनुमानित है। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2017-18 के लिये कुल विनियोग राशि 1,85,564.27 करोड़ रुपए है तथा शुद्ध व्यय 1,69,954.46 करोड़ रुपए अनुमानित है। इस प्रकार वर्ष 2017-18 में 4596.40 करोड़ रुपए का राजस्व अधिक्य अनुमानित है लेकिन अगर एरियर्स की ही राशि की बात की जाये तो ये राशि लगभग 12हजार करोड से ज्यादा की है राज्य मे आर्थिक हालत
लगभग ओवरड्राफ्ट जैसे है ऐसे मे अगर कर्ज लेकर भी सरकार एरियर्स देना चाहे तो वो इस स्थिति मे नही है ......हालंकि सबसे बडा कारण इसका चुनाव है सरकार को लगता है की अगर इसे जल्द दे दिया गया तो लोग 2018 तक इसे भूल सकते है इसिलिये एरियर्स को 2018 के चुनाव की आचार सँहिता लगने के पहले दिया जा सकता है ..वित्त विभाग भी जिस तरह से काम कर रहा है फिलहाल उससे तो यही लगता है वित्त मंत्री जयंत मलैया पहले ही ये कह चुके है की अभी एरियर्स को लेकर काम किया जाना है ...लेकिन सरकार ने सातवाँ वेतनमान जल्द जरुर लागु कर दिया है ताकि आर्थिक बोझ इकठ्ठा ना पडे और चुनावी साल के पहले कर्मचारी आक्रोश मे न रहेँ .....

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